Typhonium venosum (तेलिया कन्द) Teliya kand
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Product Highlights
नपुंसकता और कैंसर जैसे रोगों में रामबाण है ‘तेलियाकंद’
भारत देश में सेंकडों ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपनी आखों के सामने जड़ी बूटियों से पारा, ताम्बा, जस्ता, तथा चांदी से सोना बनते देखा है तथा आज भी देश में हजारों लोग इस रसायन क्रिया में लगे हुए हैं| | पूर्व में बूंदी के राजा हाडा प्रतिदिन क्विन्त्लों में का दान किया करते थे जो की मान्यताओं के अनुसार बुन्टियों के माध्यम से ही तैयार की जाती थी| इस पूरी प्रक्रिया में लोग पारे को ठोस रूप में बदलने की कोशिश करते हैं तथा गंधक के तेल से पारे का एक एलेक्ट्रोन कम हो जाता है तथा वो गंधक पारे को पीला रंग दे देता है|
सोने के निर्माण में तेलिया कंद जड़ी बूटी का बहुत बड़ा योगदान है
तेलिया कंद एक चमत्कारिक पोधा है| जिसका सबसे पहला गुण परिपक्वता की स्थिति में जेहरीले से जेहरिले सांप से काटे हुए इंसान का जीवन बचा सकता है|
तेलिया कंद का पोधा 12 वर्ष उपरांत अपने गुण दिखता है| तेलिया कंद male और female 2 प्रकार का होता है|
इसके चमत्कारी गुण सिर्फ male में ही होते है| इसके male कंद में सुई चुभोने पर इसके तेजाबी असर से
वो गलकर निचे गिर जाती है| पहचान स्वरुप जबकि female जड़ी बूटी में ऐसा नहीं होता|
इसका कंद शलजम जैसा रंग आकृति लिए हुए होता है तथा पोधा सर्पगंधा से मिलती जुलती पत्ती जैसा
होता है| इसका पोधा वर्षा ऋतू में फूटता है और वर्षा ऋतू ख़तम होने के बाद ख़तम हो जाता है|
जबकि इसका कंद जमीन में ही सुरक्षित रह जाता है| इस तरह से लगातार हर मौसम में ऐसा ही होता है|
और ऐसा 12 वर्षों में लगातार होने के बाद इसमें चमत्कारिक गुण आते हैं| इसके पोधे के आसपास की जमीन का क्षेत्र
तेलिय हो जाता है तथा उस क्षेत्र में आने वाले छोटे मोटे कीड़े मकोड़े उसके तेलिये असर से मर जाते हैं|
चूका है तथा उसके बच्चे इसकी अधिक जानकारी नहीं रखते|
तेलीया कंद के उपयोगः- तेलीया कंद जहरी औषधि है उसका उपयोग सावधानी पुर्वक करना, संघिवा, फोडा, जख्म दाद, भयंकर, चर्मरोग, रतवा, कंठमाल, पीडा शामक गर्भनिरोधक गर्भस्थापक शुक्रोत्पादक, शुक्रस्थंभक, धनुर अपस्मार, सर्पविष, जलोदर कफ, क्षय, श्वास खासी, किसी भी प्रकार का के´शर, पेटशुल आचकी, अस्थिभंग मसा, किल, कृमी तेलीया कंद इन तमाम बीमारीयो मे रामबाण जैसा कार्य करता है, और उसका अर्क जंतुध्न केल्शीयम कि खामी, स्वाद कडवा, स्वेदध्न सोथहर और स्फुर्ति दायक हैं तेलीया कंद को कोयले मे जला के उसकी राख को द्याव, चर्मरोग, किल वगेरे बिमारीओ मे काम करता है । अन्न नली कि सुजन मे इसके बीज को निमक के साथ मिलाकर सेवन करना, इके फूल पीले सफेद ओर खुशबु दार होते है ।
सावधानीयाः- तेलीया कंद एक जहरी-औषधी है इस लीये उसका उपयोग सावधानी पूर्वक करना, तेलीया कंद के भीतर तीन प्रकार के जहरी रसायन होते है …. जो ज्यादा मात्रा मे लेने से गले मे सुजन आना, चककर, किडनी का फेल होना या ज्यादा मात्रा मे लेने से मृत्यु तक हो सकती है इसलिए इसका पुराने कंद का हि उपयोग करना यातो कंद को रातभर पानी मे भीगोने से या पानी मे नमक डाल के ऊबालने से उसका जहर निकल जाता है ।
तेलीया कंद से काया कल्पः- गाय के दुध मे तेलीया कंद के चुर्ण को पंदरा दिन तक सेवन करने से व्यक्ति का काया कल्प हो जाता है । चूर्ण को दुध मे मिलाकर सेवन करना ।
तेलीया कंद से सुवर्ण निर्माणः- तेलीया कंद के रसको हरताल मे मिलाकर इकीस दिन तक द्युटाई करने पर हरताल निद्युम हो जाती है । वो आग मे डालने पर धुआ नहि देती । कहते है फिर वो हरताल ताम्र या चाँदि को गलाकर ऊसमे डालने पर वो सोना बन जाता है, पारें को तेलीया कंद के रस मे घोटने से वो बध्ध हो जाता हैं और ताम्र और चाँदि का वेद्य करता है ।
तेलीया कंद के द्वारा पारद भस्म निर्माणः- कंद को अच्छी तरह से घोट के ऊसकि लुब्दी बनाओ और ऊसी के रसमे द्योटा हुआ पारा ऊस लुब्दी के बीच मे रख शराब संपुट कर पुट देने से भस्म हो जाती है । तेलीया कंद का सर्प के साथ संबंधः- ऊसके पुष्प का आकार सर्प जेसा होता है । संस्कृत नाम सर्पपुष्पी और सर्पिणी है । इसको सर्प कंद भी कहते है । तेलीया कंद का कंद सर्प विष निवारक है । ऊस कंद के निचे सर्प रहता हैं । क्युकी ऊस कंद मे बकरी के मखन जेसी गंद्य वाला रसायन कि वजह सर्प ऊसके तरफ आकर्षित रहते है । तेलीया कंद के कांड मे सर्प के शरीर जैसा निशान होता है । जैसे कोब्रा सर्प का शरीर तेल जैसा चमकता है वैसा यह पोद्या भी तेली होता है । इस प्रकार तेलीया कंद का सर्प के साथ संबंध है । किसी किसी जगह पर कंद को ऊखाडने मे सर्प अडचन भी खडी करते हैं ।
तेलीया कंद की जातीः- तेलीया कंद एकलींगी औषधि है । उसके स्त्री और पुरुष जाती के कंद अलग-अलग होते है और एक काला तेलीया कंद भी होता है । तेलीया कंद की अनेक प्रजातिया होती हैं । ऊसमे यहा दर्शाई गई प्रख्यात है ।
तेलीया कंद का परिक्षणः- एक लोहे कि किल लेकर उस कंद के भीतर गाडदो दुसरे दिन वो किल पर अगर जंग लग जाता है तो वो सही तेलीया कंद दुसरा परिक्षण यह है कि अगर कपुर को इस कंद के ऊपर रखने पर वो गल जाता है । तेलीया कंद के नाम का विश्लेषणः- लोह द्रावक के दो अर्थ निकलते है इसके कंद का रस धातु को गला देता है । दुसरा अर्थ है अष्ट लोह मेसे किसी भी धातु को गलाते समय ऊसमें इस कंद कि मात्रा डालने पर ऊसको वो द्रवित कर देता है वो है लोहद्रावक । दुसरा करविरकंद, तेलीया कंद की एक जाती के पत्र कनेर जेसे होते हैं इसलिए इसको करविरकंद कहते है, पत्र और कांड पर रहे तिल जैसे निशान कि वजह से इसको तिलचित्रपत्रक भी कहते है । तेल जेसा द्रव स्त्रवित करता हैं इसलीए तैलकन्द इसका कंद जहरी होने से ऊसको विषकंद भी कहते है और देहसिद्धि और लोहसिद्धि प्रदाता होने की वजह से सिद्धिकंद और विशाल कंद होने की वजह से इसको कंदसंज्ञ भी कहते है ।
Description
आयुर्विज्ञान को प्राणो को बचाने का विशेष ज्ञान भी कहा जाता है इसे आयुर्वेद के नाम से भी जानते है आयुर्वेद यानि कि प्राणो का वेद इस रूप में भी देखते है हमारे ऋषि मुनियो ने आचार्यो ने पर्यटन कर ऐसी जड़ी बूटियों को खोज निकाला था जो 64 दिव्य जड़ी बूटी,वनस्पति है जिनके माध्यम से लगभग सभी बीमारियो को ठीक किया जा सकता है आयुर्वेदिक चिकित्सा के द्वारा रोग को पूर्णता के साथ समाप्त करने की क्षमता है आयुर्वेद के ग्रंथो में 64 दिव्य औषधियों का वर्णन मिलता है
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शनिवार, 5 मार्च 2016
तेलियाकंद
तेलियाकंद
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तेलियाकन्द 64 दिव्य जड़ी बूटियों में से एक औषधि है जिसके माध्यम से अनेक प्रकार की दवाई बनाई जाती है यह केंसर जैसे भयानक रोग की एक सफल औषधि है इसके माध्यम से मनुष्य शरीर को लोहे के सामान
मजबूत बनाया जा सकता है और अगर पंद्रह दिनों तक गाय के दूध में मात्र कुछ बूड़े डालकर योग्य बैध्य के निर्देशन में लिया जाये तो पूरे एक वर्ष तक व्यक्ति को कोई रोग नहीं हो सकता इसके अलावा पारद में इसके
रस को मिलकर मर्दन किया जाय तो परा बांध जाता है और बंधी हुई अवस्था में गोली का आकार देकर गोली को मुह में रख लिया जाय तो मनेच्छानुसार कही भी वायु बेग से एक स्थान से दूसरे स्थान जा सकता
है और वापिस आ सकता है और जैसे ही गोली मुह से निकली जाती है वह व्यक्ति जमीं पर आकर उतर जाता है आज के युग में यह सब विश्वास करने लायक नहीं लगता मगर यह बिलकुल सत्य है हमारे यहाँ हिमालय
में रहने वाले योगी यति ,सन्यासी आज भी इस प्रयोग के माध्यम से जंगलो में इसी प्रकार वायु गमन करते है और उच्च कोटि की साधनाए करके अपने जीवन को बहुत उचाई पर उठाकर तपस्यारत रहते है इसी
कन्द रस के द्वारा सर्प विष भी दूर किया जा सकता है और किसी भी जानवर के विष को दूर किया जा सकता है यह संसार की दिव्य औषधि इसीलिए कही जाती है क्योकि कोई भी रोग हो इसके द्वारा दूर किया जा
सकता है स्वास के रोगों में और हाथ पैरो के दर्द में यह औषधि महत्वपूर्ण मानी गयी है इसके चूर्ण के द्वारा स्वास रोग बिलकुल ठीक हो जाते है मगर इसे किसी योग्य बैध्यके सानिध्य में ही औषधि प्रयोग करना चाहिए
क्योकि यह बहुत ही विषेला पदार्थ है जरा भी ज्यादा मात्रा में प्रयोग करने से मृत्यु भी हो सकती है इसलिए योग्य बैध्य की सलाह से उचित मात्रा जरूरी है तेलियाकंद का पौधा लगभग तीन से चार फीट तक का होता है
इसके पत्ते मूली के पत्तो जैसे होते है जिनसे निरंतर तेल झरता रहता है इसलिए पौधे के चारो ओर तेल फैला हुआ रहता है इसके कन्द के नीचे दो से तीन चार तक काले नाग सर्प रहते है जिनका विष आम काले नाग से
कई गुना जहरीला होता है इसलिए इस पौधे को उखाड़ने की हिम्मत हर कोई नहीं कर सकता वैसे भी यह बहुत कम देखने को मिलता है जिन्हें हिमालय के चप्पे चप्पे का ज्ञान है उन्हें ही इस पौधे के बारे में पता होता है
ज्यादातर विन्ध्याचल के पहाड़ो में घने वृक्षों के बीच यह पौधा प्राप्त होता है या नर्मदा के किनारे यह पौधा प्राप्त होता है या कभी कभी पहाड़ो पर भी यह प्राप्त हो जाता है इसे प्राप्त करना अत्यंत दुष्कर कार्य है वस्तुतः इसके
माध्यम से अनेक चमत्कारिक कार्य संपन्न किये जा सकते है जो मानव के लिए मुश्किल ही नहीं असंभव जैसे प्रतीत होते है इसमें कोई संशय नहीं है सच कहू तो प्रकृति का मानव जाति को अमरता का वरदान है इसके
द्वारा हजारो सालो तक जीवित रहा जा सकता है इसका रस ताम्र को पिघलाकर डालने पर तुरंत ताम्बा स्वर्ण में परिवर्तित हो जाता है और भी बहुत सारे लाभ है जिन्हें लिखना संभव नहीं है क्योकि इससे अनंत प्रयोग
संपन्न किये जा सकते है यह एक प्रयोग का भी विषय है |
Additional information
Dimensions | 42 × 12 × 12 cm |
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Unit | Barrel, Bottle, Box, Carat, Carton, Cubic Feet, Cubic Meter, Dozen, Foot, Inch, Kilogram, Kilowatt, Liter, Megawatt, Meter, Pair, Piece, Roll, Watt |